Thursday, September 2, 2010

असद जैदी की कविताएँ

असद जैदी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उनकी दो कविताएँ यहाँ ‘कविता कोश’ से साभार पोस्ट कर रहे हैं।


पानी


जब तक में इसे जल न कहूँ
मुझे इसकी कल.कल सुनाई नहीं देती
मेरी चुटिया इससे भीगती नहीं
मेरे लोटे में भरा रहता है अन्धकार
पाणिनी भी इसे जल कहते थे
पानी नहीं
कालान्तर में इसे पानी कहा जाने लगा
रघुवीर सहाय जैसे कवि
उठकर बोलेः
ष्पानी नहीं दिया तो समझो
हमको बानी नहीं दिया।
सही कहा . पानी में बानी कहाँ
वह जो जल में है।


शनिवार


सुबह.सुबह जब मैं रास्ते में रुककर फ़ुटफाथ पर झुककर
ख़रीद रहा था हिंदी के उस प्रतापी अख़बार को
किसी धातु के काले पत्तर की
तेल से चुपड़ी एक आकृति दिखाकर
एक बदतमीज़ बालक मेरे कान के पास चिल्लाया..
सनी महाराज!


दिमाग सुन्न ऐनक फिसली जेब में रखे सिक्के खनके
मैंने देना चाहा उसको एक मोटी गाली
इतनी मोटी कि सबको दिखाई दे गई
लड़का भी जानता था कि
पहली ज़्यादती उसी की थी
और यह कि खतरा अब टल गाया


कहाँ के होघ् मैंने दिखावटी रुखाई से पूछा
और वो कम्बख़्त मेरा हमवतन निकला
ये शनि महाराज कौन हैं
उसने कहा॥ का पतौण्ण्ण् !


इसके बाद मैंने छोड़ दी व्यापक राष्ट्रीय हित की चिंता
और हिंदी भाषा का मोह
भेंट किए तीनों सिक्के उस बदमाश लड़के को।